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Sunday, February 16, 2020

समानता का अधिकार और गोभी

समानता का अधिकार और गोभी

"समानता का अधिकार है बे"-- अपने गंतव्य तक पहुंचने के लिए तीव्र गति से कदम बढ़ाते आज जब मैं चली जा रही थी कि ये आवाज बगल से टुनटुनाती हुई निकल गई. टुनटुनाती हुई इसलिए क्योंकि ये आवाज एक साइकिल- सवार की थी जो पीछे दो गोभी और एक पुस्तिका एकसाथ दबाए अपने साथी से वार्तालाप करते चला जा रहा था. उनका बाकी वार्तालाप तो मैं नहीं सुन पाई पर शायद कानून का विद्यार्थी होने के नाते 'समानता का अधिकार' पर मेरे कान खड़े हुए, वरना मैं तो विद्यार्थिओं की हज़ार समस्याओं पर भी कानों पर जूं न रेंगने वाली व्यवस्था में जी रही हूँ और इसे ही परंपरा समझकर संतोष भी करती हूँ.

बहरहाल, "जो मिल गया उसी को मुकद्दर समझ लिया ..." से इतर अधिकार की बात ने रोमांचित किया. हालांकि यह पहला अवसर नहीं था जब 'समानता का अधिकार' जैसे कालजयी शब्द सुने थे. अनुच्छेद 14 को कई बार पढ़ा, सुना और समझा है; अथवा "समझने की कोशिश की है" कहना ज्यादा उचित होगा. फिर भी आज उस साइकिल- सवार के शब्दों ने झकझोरा. उसका मुख ना देख पाई मैं, सिर्फ पीठ और गोभी ही देखा, और उसी दृश्य ने समानता के नए आयामों पर विचार करने पर मजबूर कर दिया. 

पहली बात जो मन में आई वो ये थी कि ये एक प्रतियोगी होगा जो परीक्षाओ को पास कर एक एक अदद नौकरी की लालसा में 'समानता के अधिकार' का रट्टा लगा रहा होगा, ताकि वह गोभी ले जाने के लिए साइकिल के बदले कार अथवा कम- से- कम मोटरसाइकिल खरीद सके और मेरे जैसे पैदल यात्री उसका गोभी ना देख सकें.

दूसरी बात मन में ये आई ये प्रतियोगी छात्र अपने समय का सदुपयोग करते हुए शिक्षण- संस्थान से लौटने के दौरान ही सब्जी लिए जा रहा होगा और मैं अनायास ही गोभी और पुस्तिका के प्रगाढ सम्बन्ध पर विचार कर रही हूँ.

तीसरी बात जो मन में आई वो ये थी कि गोभी और पुस्तिका के इस प्रगाढ सम्बन्ध के लिए उस बालक की माताश्री अथवा परिवार के अन्य सदस्य जिम्मेदार रहे होंगे, जिन्होंने "बेटी बचाओ- बेटी पढ़ाओ" और "बेटा धनिआ लाओ- पुदीना लाओ" की तर्ज पर गोभी भी लाने का आदेश दिया होगा. 

 वैसे, गोभी और पुस्तिका एक साथ रखा जाना भी एक प्रकार की समानता है. भोजन और शिक्षा- दोनों ही बुनियादी आवश्यकताएँ हैं और यदि ये आवश्यकताएँ समान रूप से पूर्ण हो जाएँ तो "समानता का अधिकार है बे" चरितार्थ हो जाए. 

DISCLAIMER

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7 comments:

  1. Hahahahahaha...gobhi aur brokli ki samanta k bajay book aur gobhi ki equality khoj diya

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    1. Hahaha, ye topic v kaafi accha hai... bhavishya me iss topic pr v post likha jaaega :D

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  2. Gobhi aur pustika ka par kg rate same h ye bhi samanta hi h...

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    1. Ye samanta students hi dhundh sakte hai

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    2. quite interesting how two core problems - hunger & education, in the country demand fresh outlook with the concept of equality.Government is doing its best to bring two to their respected scales. Yet much still need to be done on this.

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    3. Yes, these core issues remind me of Tagore's poem, "where the mind is without fear..." May the nation achieve these goals soon

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