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Monday, January 22, 2024

राम आयें हैं. 


याद रहे ये वो राम हैं, जिन्होंने शबरी के जूठे बेर खाये थे. ये वो राम हैं, जिन्होंने NALSA Vs. UOI का निर्णय  आने से सदियों पहले किन्नरों को मान्यता दी थी. ये वो राम हैं, जो सिर्फ मनुष्यों के नहीं, बल्कि वानरों, भालुओं, गिलहरी, भांति- भांति के पक्षियों और इसी प्रकार के अन्य जीवों के प्रिय नेता हैं. जिनको समाज दुत्कार कर मुख्य- धारा से अलग कर देता है, वैसे प्राणियों को ह्रदय से लगाने वाले हैं राजा राम. ये वो राम हैं, जिन्होंने कब्ज़ा ज़माने से ज्यादा त्याग करने पर जोर दिया था.  अपना राज्य त्याग कर वनवास जानेवाले और युद्ध में दूसरे राज्य पर विजय प्राप्त कर भी उसपर कब्ज़ा जमाये बिना अपने घर लौट आने वाले राम हैं ये. हमारे पाठ्य पुस्तकों में जिस welfare- state की परिकल्पना की गई है, राम- राज्य प्रतीक है उस राज्य का. 
मर्यादा- पुरुषोत्तम श्रीराम. एक पत्नी का व्रत लेनेवाले सीता के राम. बलपूर्वक किसी स्त्री को हर लेने की बजाय स्वयंवर के नियमों का पालन कर स्त्री का ह्रदय जीतने की शिक्षा देने वाले हैं राम. लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न के आदर्श भाई राम. कौशल्या, कैकेई और सुमित्रा माताओं के आदर्श पुत्र राम. पिता दशरथ के वचनों को पूरा करने के लिए प्राणों की बाजी लगा देने वाले राम. निषादराज के प्रिय मित्र हैं राम. सिद्धांतवादी होने के बावजूद सुग्रीव की मित्रता में कुछ सिद्धांतों को अनदेखा कर देने वाले हैं राम.  
वस्तुतः वाल्मिकी रामायण और तुलसीदास कृत रामचरित मानस में राम नामक जिस चरित्र का वर्णन है, वो मानवीय गुणों से परे और दैवीय गुणों से भरपूर हैं. देश- विदेश में लगभग 300 ऐसे ग्रंथ मौजूद हैं, जिनमें राम का वर्णन मिलता है. सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि सम्पूर्ण विश्व की एक बड़ी जनसंख्या राम को मानती है. 
मेरे मन में जिस राम की छवि है, वो अरुण गोविल और दीपिका जी द्वारा अभिनित एवं रामानंद सागर द्वारा निर्देशित टीवी शो 'रामायण' में देख- सुनकर प्राप्त किये गए ज्ञान पर आधारित है. बचपन की स्मृतियों का एक अभिन्न हिस्सा हैं राम. इकलौते टीवी के सामने पूरे गांव को सदभावपूर्वक एकसाथ बैठना सिखाने वाले हैं राम. 

आज राम फिर से अपने घर आ गए हैं. फिर से याद करें, ये वो राम हैं, जिन्होंने शबरी के जूठे बेर खाये थे. ये वो राम हैं, जिन्होंने NALSA Vs. UOI का निर्णय  आने से सदियों पहले किन्नरों को मान्यता दी थी. ये वो राम हैं, जो सिर्फ मनुष्यों के नहीं, बल्कि वानरों, भालुओं, गिलहरी, भांति- भांति के पक्षियों और इसी प्रकार के अन्य जीवों के प्रिय नेता हैं. जिनको समाज दुत्कार कर मुख्य- धारा से अलग कर देता है, वैसे प्राणियों को ह्रदय से लगाने वाले हैं राजा राम. ये वो राम हैं, जिन्होंने कब्ज़ा ज़माने से ज्यादा त्याग करने पर जोर दिया था.
तो, आज जब राम आयें हैं, और हम उत्सव मना रहें हैं, याद रहे अपनी उत्सवधर्मिता में हम किसी को परेशान न कर बैठे. किसी को नीचा न दिखा बैठे. खुशियाँ मनाना सबका हक़ है. हम ख़ुशी मना रहें हैं एक मर्यादा- पुरुषोत्तम के व्यक्तित्व की, हमारा आचरण भी मर्यादित ही होना चाहिए. आचरण जब मर्यादित होगा तो हम सब पर और हम सब में राम आयेंगे. 
जय श्रीराम. 

Wednesday, January 17, 2024

 जाड़े की शाम 



उस धुंधली शाम में, 
पेड़ भी खामोश थे. 
पक्षी घोंसले में दुबके थे,
और वो भी खामोश थे. 

गली में खेलता हुआ बच्चा, 
माँ के बुलावे पर घर गया. 
दूध पीकर सो गया, 
और खामोश हो गया. 

दफ्तर वाले बाबू साहब, 
जल्दी- जल्दी घर लौटे. 
दिनभर बोल कर थके थे,
टीवी खोल खामोश हुए. 

सब्जी वाली अपनी झोपड़ी में, 
आग तापती चुप बैठी. 
सत्तू से काम चलाया, 
और निंदिआ में खामोश हुई. 

भौंकते हुए कुत्ते भी,
घरों के पीछे दुबक गए. 
रोटी मिली या न मिली,
ठण्ड से खामोश हुए. 

आज अचानक अपनी पुरानी डायरी हाथ लगी. पन्ना खुला और तारीख़ छपी थी, 14/01/2008. ज़िंदगी के उस पिछले पन्ने पर यह कविता लिखी थी. चेहरे पर मुस्कान फैल गई. मुझे बिल्कुल याद नहीं था कि कुछ 15- 16 साल पहले भी मेरी नज़रों में जाड़े की शाम ख़ामोश हुआ करती थी. आज भी ये ख़ामोशी मुझे पसंद है. ऐसा लगता है मानो परियों के देश आ गए हों. मानों प्रकृति माता अपने आवरण में हमें छुपा कर दुनिया की हर मुसीबत से सुरक्षा प्रदान कर रहीं हों. मानों ईश्वर स्वयं धरती पर उतर आयें हों हमसे मिलने के लिए... 
तो ये पोस्ट मेरी पुरानी यादों से निकली नई मुस्कान के नाम... 

भोजपुरी संस्कृति और गारी  YouTube पर TVF का एक नया शो आया है, "VERY पारिवारिक".  इस शो का गाना "तनी सून ल समधी साले तब जइहा त...