राम ज्यादा आम खाता है क्या दीदी ?- यह मेरी अबतक की ज़िंदगी में पूछा गया सबसे तार्किक प्रश्न था. सवाल पूछा था उस छोटी सी बच्ची ने, जो वर्णमाला का ज्ञान प्राप्त कर लेने के बाद मात्राएँ सीख रही थी. 'आ' की मात्रा सिखाते हुए उसे उसकी विद्यालय की शिक्षिका और टयूशन शिक्षिका, दोनों ने एक ही गृहकार्य दिए था-
राम आम खाता है.
राम आम खाता है.
राम आम..............
उस बच्ची की उत्सुकता तो शायद यही जान ने तक सीमित थी कि आम खाने का इल्ज़ाम सभी लोग राम पर क्यों लगा रहे हैं? क्या वाकई राम ज्यादा आम खाता है? लेकिन उसका यह प्रश्न मुझे सालता रहा. वैसे तो 'आ' की मात्रा सिखाने का यह सबसे आसान और प्रचलित तरीका है, क्योंकि राम की तुकबंदी बैठती है आम के साथ; परन्तु इस प्रश्न का कोई तार्किक उत्तर न ढूंढ़ पाने पर मुझे लगा कि हम 'राधा' को भी तो 'आम' खिला ही सकते हैं.
शालू सिर्फ कचालू खा पाएगी.
गुड़िया सिर्फ पुड़िया खा पाएगी. हालांकि उस पुड़िया में कोई भी खाद्य- सामग्री भरी जा सकेगी, लेकिन एक पुड़िया भात अथवा एक पुड़िया डोसा से क्या होगा.
ठेकुआ खाने की अनुमति सिर्फ फेंकुआ को होगी तो बाकी बिहारियों का क्या होगा.
दुर्गा को मुर्गा खिलाएंगे ???
जो व्यक्ति आडू खाएगा जरा उसके नाम की कल्पना कीजिये.
हलुआ खानेवाले को अपना नाम कलुआ या गलुआ रखना पड़ेगा.
खाजा खाने का हक सिर्फ राजा का होगा.
पूजा पूरी ज़िंदगी भूंजा खाती रहेगी.
चने को फन्ने खाँ खा जाएंगे और घोड़ा भूखा रहेगा.
पालक, पपीता, बथुआ, सोया, मेथी, गाजर, अमरुद इत्यादि इत्यादि खानेवालों के नामो की कल्पना कीजिये.
यदि यह नियम लागू हो गया तो असंख्य व्यक्ति सिर्फ ऑक्सीजन पीकर गुजारा करेंगे क्योंकि पानी पीने के लिए नानी बनना पड़ेगा.
यह व्यवस्था लागू होने पर टेलीविज़न के "टॉक- शोज" से एक प्रश्न अपने- आप कम हो जाएगा. आमतौर पर गणमान्य व्यक्तियों को ऐसे कार्यक्रमों में बुलाकर उनसे कुछ सवाल पूछे जाते हैं. कल्पना कीजिये कि कपिल शर्मा के शो पर क्या दृश्य होगा,- "अरे मिस्टर थापर, आपका प्रिय भोजन तो झापड़ होगा?"
नाम के साथ लयबद्ध भोजन खिलाने के बारे में जितना सोचती हूँ, उतने ही ज्यादा हास्यास्पद ख्याल दिमाग में आते हैं. अगर इस छोटी बच्ची जैसे तार्किक दिमागधारी बच्चे कल को सत्ता में आ गए और यह कह दिया कि, "कल आपने मात्रा सिखाने में राम को आम खिलाया था, अब आप भी तुकबद्ध भोजन ग्रहण करो" तब क्या होगा?
उसी तरह नाम की तुकबंदी में पढाई भी करने का नियम हो तो क्या मज़ा आ जाए. कुछ अपवादों को छोड़कर आमतौर पर यह माना जाता है कि डॉक्टर के बच्चे डॉक्टर, इंजीनियर के बच्चे इंजीनियर और वकील के बच्चे वकील बनते हैं. इस नियम के तहत सिर्फ शकील बनेगा वकील. डॉक्टर बनने का हक़ उस व्यक्ति को होगा, जिसका नाम होगा प्रॉक्टर...
एक मिनट, यह कैसे संभव है?
हमारे देश में प्रत्येक वर्ष लाखों इंजीनियर/ अभियंता बनते हैं. मुझे अभी इंजीनियर/ अभियंता की तुकबंदी में कोई नाम नहीं सूझ रहा. आप सुझाएँ. ऐसे में इंजीनियरिंग की पढाई से ज्यादा कठिन परीक्षा माँ- बाप की हो जाएगी नामकरण संस्कार के समय. यदि माता- पिता ने यह कठिन कार्य सफलतापूर्वक कर भी लिया, लेकिन उनका इंजीनियर बच्चा पैशन फॉलो करने के चक्कर (#followingthepassion) में कॉमेडियन बनने चला गया तो मेहनत व्यर्थ जाएगी.
देश की अदालतें अभी लंबित मामलों के बोझ से दबी हैं. तब स्थिति यह हो जाएगी कि अदालतें नाम- परिवर्तन करने वाले शपथ- पत्रों के बोझ से दबेंगी.
इसका एक समाधान जो मुझे समझ आ रहा है वो ये है कि लोग अपने लाडले- लाड़लियों का नामकरण करने के बदले उन्हें कोड से चिन्हित करें और जब व्यवसाय अथवा पैशन निर्धारित हो जाए, तब नामकरण करें; क्योंकि हर पूत के पाँव पालने में ही दिखाई दे जाएं, यह आवश्यक नहीं है.
जहाँ तक आधार- कार्ड का प्रश्न है, तो जिस प्रकार पांच वर्ष और पंद्रह वर्ष का होने पर फिंगर- प्रिंट अपडेट कराने नियम है, उसी प्रकार नाम भी अपडेट हो जाएगा.
एक और बात मन में कौंध रही कि अगर नाम के हिसाब से वस्त्र पहनने हों तो क्या हो? हर नारी साड़ी पहने, खोटीराम धोती पहने. बाकी वस्त्र पहनने के शौक़ीन लोग उस हिसाब से अपना नाम रखें.
इस अवलोकन से बस एक बात सामने आ रही है कि हमें बच्चों को मात्रा का ज्ञान देते समय सिर्फ राम को आम खिलाना बंद करना पड़ेगा. राधा, सना, ममता इत्यादि लोग भी आम खा सकते है.
अथवा ये कैसा रहेगा-
आधार आवश्यक है.
आधार आम आवश्यकता है.
आधार ही आधार है.
नोट:- कमेंट सेक्शन में बताए आपको यह पोस्ट कैसा लगा. क्या कभी किसी बच्चे ने आपसे भी ऐसा ही कठिन सवाल पूछा है? यदि हाँ तो वह सवाल बताएँ एवं Blog को subscribe करें.
Bechara Durga "best of luck" for him
ReplyDeleteMazedaar blog as always
😂😂
DeleteApna socho puria ;)
DeleteWhat an observation di.... 👍👍
ReplyDeletehaha, isko kahte hai khurafat
DeleteHahahaha...durga ko murga khila k hi rhege..
ReplyDeletePooja ka to kaam hi h bhooja chabana 😂😂😂
N thekua dur ja rha tumse☺️
Deletethekua dur jana sabse bdi samasya hai :D
DeleteSamasya to bahut hai...samadhan batao 🤣🤣 thekuwa k lie insan fekuwa ho jayega 😂😂
DeleteMera to chlo fir v thik h.. Tum socho murga kaise khaoge ��������������
ReplyDeleteAre Rajpoot murga banayenge. To murga ko v pta ni chalega ki vo murga hai so sb khayenge 😂😂😂
DeletePrachi bahut hi majedaar h... 👍
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteDi,Durga n Puja ... Rhyming mast h bna👏🤓
ReplyDeleteDurga k hisab se, "soni ko moni se milaenge"
DeleteWo to 🐓k saath busy mere liye kha⏲️ki milayega🤓
Delete😂😂😂
DeleteBht Confusion hai
ReplyDeletesolution ye hai ki ram ko aam khilana bnd kia jaae
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