बारिश
रिमझिम बरसती ये बूँदे,
धुँधली यादों को नहलाती हैं.
बीते लम्हों की डोर से,
मन को बाँध जाती हैं.
मन ये चंचल पीछे भागे,
उन पलों की खोज में.
जिन्हे कभी हमने था जिया,
जीवन- धारा की मौज में.
ये बरसते आँसू हैं,
जो मातमपुर्सी को निकले.
या बरस रही नेमत हैं ये,
जो प्रकृति- माता से हैं मिले.
हरदम ये बूँदे मुझको,
स्तब्ध- सी कर जाती हैं.
बीते लम्हों की डोर से,
मन को बाँध जाती हैं.
Nice poem, good effort
ReplyDeleteThank you
DeleteBahut sundar 👌
ReplyDeleteDhanyawad
Delete