रोटी पर चर्चा
हेलो कौवे!
हेलो काले कपड़े वाली लड़की!
मैं प्राची हूँ।
I don't care.
So rude. हेलो ही तो बोल रही, चिढ़ क्यों रहे हो?
चिढू क्यों नहीं, तुम वही हो न, जिसके आ जाने से मम्मी का रूटीन गड़बड़ हो जाता है. सारा attention तुम्हारी तरफ हो जाता है. मैं neglected फील करता हूँ.
Excuse me. वो मेरी मम्मी है, मैं deserve करती हूँ उनका attention.
हुँह बड़ी आई मेरी मम्मी है. साल भर तो रहती नहीं हो यहाँ. रोज सुबह मम्मी को कांव- कांव मैं बोलता हूँ. वो जब बगिया में फूलों को पानी देती हैं, तो आसपास मैं मंडराता हूँ. वो जब मंदिर जाती हैं, तो साथ- साथ मैं जाता हूँ.
हाँ जरूर, और साथ साथ घर वापस भी आते हो. फिर तबतक कांव- कांव का शोर डाले रहते हो, जबतक मम्मी रोटी बनाकर नहीं दे देती.
वो तो उनका प्यार है, इसीलिए मैं सपरिवार रुका रहता हूँ, वरना उड़कर अपने और अपने परिवार के लिए दाना- पानी का इंतजाम कर सकता हूँ.
I agree to that. प्रकृति माता की सभी औलादों में मनुष्य को छोड़कर बाकी सब प्राणी आज भी आत्मनिर्भर हैं.
...
ओहो, तुम तो तारीफ सुनकर शर्माने लगे.
खीखीखी, ऐसी कोई बात नहीं है. तुम भी अच्छी हो.
Thank You. तो अब ceasefire ???
हम्म्म। ठीक है. वैसे भी तुम जल्दी ही वापस चली जाओगी.
उफ, यानि NO CEASEFIRE.
मैं कौवा हूँ मेरी जान. NO CEASEFIRE.
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